एक तुम और एक तुम्हारे होने का एहसास
काश दो अलग अलग बातें ना होती
भटकती रहती हूँ दर बदर तुम्हे ढूँढते हुए
काश तुमसे मेरी वो मुलाक़ातें ना होती
जिस्म को मेरे छू कर ख़ुश होते रहे
काश दिल की कड़ी तुमसे लगाई ना होती
नादाँ थी सोचती थी साथ रहेगा ताउम्र
काश मेरी रूह में मोहब्बत समाई ना होती
-रुचि कोकचा
Wah
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Happy independence day.
On Fri, Aug 13, 2021, 00:19 Ruchi Kokcha Writes… wrote:
> RuchiKokcha posted: ” एक तुम और एक तुम्हारे होने का एहसासकाश दो अलग अलग > बातें ना होती भटकती रहती हूँ दर बदर तुम्हे ढूँढते हुएकाश तुमसे मेरी वो > मुलाक़ातें ना होती जिस्म को मेरे छू कर ख़ुश होते रहेकाश दिल की कड़ी तुमसे > लगाई ना होती नादाँ थी सोचती थी साथ रहेगा ताउम्रकाश” >
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