ग़म ये नहीं की उनके इश्क़ में हम फ़ना हो गए
ग़म ये है की हम मिट गए और वो दग़ा हो गए
ग़म ये नहीं की मुझ से अलविदा वो कह गए
ग़म ये है जाते जाते वो एक दफ़ा भी नहीं पलटे
ग़म ये नहीं की दूरियाँ कुछ ज़्यादा ही बढ़ गयी
ग़म ये है की नज़दीकियों को मौक़ा नहीं मिला
ग़म ये नहीं की ख़ामोशी कानो में चीख़ती रही
ग़म ये है की लफ़्ज़ों का सन्नाटा सहा न गया
ग़म ये नहीं की मोहब्बत का रंग उतर चुका था
ग़म ये है की इस दर्द का इक दाग़ भी ना पड़ा
Wah mam. Touched by these lines.
On Sun, Dec 1, 2019, 9:18 PM Ruchi Kokcha Writes… wrote:
> RuchiKokcha posted: “ग़म ये नहीं की उनके इश्क़ में हम फ़ना हो गए ग़म ये है > की हम मिट गए और वो दग़ा हो गए ग़म ये नहीं की मुझ से अलविदा वो कह गए ग़म ये > है जाते जाते वो एक दफ़ा भी नहीं पलटे ग़म ये नहीं की दूरियाँ कुछ ज़्यादा ही > बढ़ गयी ग़म ये है की नज़दीकियों को मौक़ा नहीं ” >
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Happy new year mam. Hope you write something interesting in this occasion.
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